म्यूचुअल फंड के प्रकार: जानिए कितने तरीके होते हैं
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म्यूचुअल फंड एक पेशेवर फंड मैनेजर द्वारा प्रबंधित धन का एक पूल है। यह एक ट्रस्ट है जो कई निवेशकों से पैसा इकट्ठा करता है जो एक सामान्य निवेश उद्देश्य साझा करते हैं और उसे इक्विटी, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स और/या अन्य प्रतिभूतियों (securities) में निवेश करते हैं। सरल भाषा में कहें तो, इसमें कई लोग अपने पैसे को एक साथ जमा करके शेयर बाज़ार या निवेश योजनाओं में निवेश करते हैं। इस तरह, म्यूचुअल फंड में आपके पैसे का सामूहिक निवेश किया जाता है और जो भी लाभ होता है, वह सभी निवेशकों के हिस्सों के हिसाब से बांटा जाता है।

विभिन्न लोगों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निम्नलिखित प्रकार के म्यूचुअल फंड होते हैं:

  1. इक्विटी या ग्रोथ फंड : इन फंड में आमतौर पर कंपनियों के शेयर में निवेश किया जाता है और इनका मूल उद्देश्य कैपिटल निर्माण या पूंजी वृद्धि होता है। ये दीर्घकालिक निवेश के लिए उत्तम हो सकते हैं।
  2. आय या बॉन्ड या नियत आय फंड : इन फंड में नियत आय बॉन्ड, जैसे सरकारी प्रतिभूतियां, बॉन्ड, और बैंक सर्टिफिकेट में निवेश किया जाता है। ये सुरक्षित निवेश होते हैं और आय निर्माण के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।
  3. हाइब्रिड फंड : इन फंड में इक्विटी और आय दोनों में निवेश किया जाता है, जो वृद्धि संभावनाओं के साथ-साथ आय निर्माण प्रदान कर सकते हैं।

इन म्यूचुअल फंड के अलावा भी विभिन्न प्रकार के फंड होते हैं, जो निवेशकों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करते हैं। आइए उनके बारे में विस्तार में जानते है।

म्यूचुअल फंड के प्रकार

आपके निवेश पोर्टफोलियो के आधार पर, म्यूचुअल फंड कई प्रकार के हो सकते हैं। सेबी (SEBI) ने इन्हें निम्नलिखित 5 श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:

1. इक्विटी म्यूचूअल फंड | Equity Mutual Fund

एक्विटी म्यूचूअल फंड (Equity Mutual Funds) में ज़्यादातर पैसा शेयर में निवेश किया जाता है। इन स्कीम में, फंड प्रबंधक को कम से कम 65% परसेंट रकम शेयर में ही निवेश करना होता है, जबकि बचे पैसे को वो बॉन्ड या बैंक में जमा कर सकते हैं। इससे ज़्यादा कमाई की संभावना होती है, लेकिन इसमें अधिक रिस्क होता है।

आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार एक्विटी फंड की आय पर लंबे समय के लिए लगाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को आपकी आय में जोड़कर कर कैल्कुलेट किया जाता है।

2. डेट फंड | Debt Fund

डेट फंड में रकम मुख्य रूप से बॉन्ड और कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉज़िट में निवेश होती है। किसी डेट फंड में कम से कम 65% पैसा बॉन्ड या बैंक डिपॉज़िट में निवेश करना अनिवार्य होता है। इनमें रिस्क कम होता है लेकिन लाभ भी संभावित होता है। डेट फंड एक प्रकार के म्यूचुअल फंड हैं जो आपके पैसे को सरकार और कंपनियों को उधार देकर रिटर्न उत्पन्न करते हैं। ऋण देने की अवधि और उधारकर्ता का प्रकार, ऋण निधि के जोखिम स्तर को निर्धारित करता है।

3. बैलेंस्ड म्युचुअल फंड | Balanced Mutual Fund

बैलेंस्ड म्युचुअल फंड शेयर और बॉन्ड दोनों में पैसा निवेश करते हैं। ये शेयर में ज़्यादा रिटर्न देते हैं, लेकिन जोखिमपूर्ण होते हैं, जबकि बॉन्ड सुरक्षित होते हैं, लेकिन रिटर्न कम होता है। इन फंड का उद्देश्य सुरक्षा के साथ बेहतर रिटर्न प्रदान करना है, लेकिन वे इक्विटी और डेट फंड की तरह नहीं हैं। इनमें पैसा शेयर और बॉन्ड में संतुलित रूप से निवेश किया जाता है।

4. टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड | Equity Linked Saving Scheme (ELSS)

यह फंड टैक्स बचाने का एक उपाय है। यह पैसे को कम से कम 3 साल के लिए लॉक कर देता है और आयकर विभाग की सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट प्रदान करता है। ELSS में निवेश किया गया पैसा मुख्य रूप से शेयर में लगाया जाता है, जिससे अच्छे रिटर्न की संभावना होती है, लेकिन यहाँ जोखिम भी शामिल होता है।

5. इंडेक्स फंड | Index Fund

इंडेक्स फंड, एक प्रकार का इक्विटी फंड होता है, जिसमें पैसा शेयर में निवेश किया जाता है, लेकिन इसकी विशेषता यह है कि यह निवेश मार्केट इंडेक्स की प्रतिक्रिया पर निर्भर रहता है। इसे Sensex, Nifty, CNX-200, CNX-500 जैसे मार्केट इंडेक्स में निवेश किया जाता है, जो निश्चित कंपनियों के शेयर की चार्ट पर आधारित होते हैं। इससे निवेशकों को ज़्यादा अनुभव की ज़रूरत नहीं होती और वे मार्केट की संरचना के अनुसार निवेश करते हैं। इसके निवेश प्रबंधन शुल्क बहुत कम होता है, जिससे निवेशकों को टैक्स बचाने में मदद मिलती है। इंडेक्स फंड खरीदने के लिए आप म्यूचुअल फंड एजेंट के माध्यम से इसे खरीद सकते हैं।


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