होम लोन के बारे में सामान्य मिथक
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मिथक 1 - कम ब्याज दर ही एकमात्र मानक है

आपको होम लोन लेते समय, यह हमेशा याद रखना चाहिए कि होम लोन में इंटरेस्ट रेट ही केवल एक मानक नहीं होता है बल्कि बजट, आर्थिक स्थिति, और अन्य पहलु भी महत्वपूर्ण होते हैं।

आमतौर पर, लोग उस बैंक की ओर ज़्यादा आकर्षित होते हैं जो बाज़ार में सबसे कम इंटेरेस्ट रेट के साथ आकर्षक होम लोन प्रदान कर रहा है। इसके बावजूद यह एक महत्वपूर्ण कारक है लेकिन आपको पता होना चाहिए कि यह आपके होम लोन प्रोसेस लिए एकमात्र मापदंड नहीं है।

कुछ बैंक अक्सर कम इंटेरेस्ट रेट पर लोन देने का वादा करते हैं, लेकिन आपको उनके द्वारा प्रदान किए जानें वाले होम लोन व उनकी शर्तों, जैसे कि प्रोसेसिंग फीस, प्रीपेमेंट पेनल्टी, या अन्य शुल्क का विश्लेषण करना बेहद ज़रूरी है।

इसके पश्चात आपको अपनी वित्तीय स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर और सभी पहलुओं को समझकर ही लोन को चुनने का निर्णय लेना चाहिए, ताकि आपके लिए यह एक सही और सुरक्षित चयन हो। आपको होम लोन लेते समय इंटेरेस्ट रेट के अलावा अन्य शर्तों का भी मूल्यांकन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि आप अपनी आर्थिक स्थिति को सटीक रूप से विश्लेषित करके सही लोन का चयन कर सकें।

मिथक 2 - RBI होम लोन की ब्याज दरों का निर्धारण करता है

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) भारत के वित्तीय बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन होम लोन की इंटरेस्ट रेट निर्धारित करना उसका मुख्य कार्य नहीं है। RBI का मुख्य उद्देश्य वित्तीय स्थिरता और मूल्य स्थिरता को बनाए रखना है। इसके लिए वह कई नीतियां और दिशानिर्देश जारी करता है, जिनका पालन वित्तीय विनियमन के लिए किया जाता है।

हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां और बैंक ही होम लोन प्रोसेस के इंटेरेस्ट रेट तय करने की भूमिका निभाते हैं। ये बैंक अपने उपलब्ध फंड्स, लोन की लागत, और वित्तीय बाज़ार की स्थिति के आधार पर होम लोन की इंटेरेस्ट रेट तय करते हैं।

इसका अर्थ है कि विभिन्न बैंक की होम लोन इंटरेस्ट रेट अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए, होम लोन की इंटरेस्ट रेट की तलाश के समय लोगों को विभिन्न बैंक व वित्तीय संस्था की प्रस्तावित इंटरेस्ट रेट और उनकी शर्तों का मूल्यांकन करके सवधानी बरतनी चाहिए।

मिथक 3 - फिक्स्ड रेट होम लोन, फ्लोटिंग रेट होम लोन से बेहतर होते हैं

फिक्स्ड रेट होम लोन और फ्लोटिंग रेट होम लोन के बीच हमेशा ही तुलना होती है, लेकिन किसी एक को सीधे ही बेहतर या बुरा मानना सही नहीं है, क्योंकि यह आपकी आर्थिक स्थिति और व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर निर्भर करता है।

फिक्स्ड रेट होम लोन वह ऑप्शन है जो आपको हर महीने एक स्थिर इंटेरेस्ट रेट पर भुगतान करने की सुविधा देता है, जिससे आपको वित्तीय सुरक्षा मिलती है। इसमें आपको कोई भी सरप्राइज इंटेरेस्ट रेट की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है। हालांकि, यदि बैंक अपना इंटेरेस्ट रेट कम करता है, तो फिक्स्ड रेट होम लोन के ग्राहकों को इससे नुकसान का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उन्हें नई इंटेरेस्ट रेट का लाभ नहीं मिलता है।

दूसरी ओर, फ्लोटिंग रेट होम लोन में आपको इंटेरेस्ट रेट के बदलते स्वरूप का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह आपको इंटरेस्ट रेट के कम होने पर ही लाभ प्रदान करता है। अगर इंटरेस्ट रेट घटता हैं, तो आपकी इंटरेस्ट रेट भी कम होती है, जिससे आपके लोन का कुल बर्डन घट सकता है।

इसलिए, फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट होम लोन के बीच आप एक उचित विचार करें, जो आपकी आर्थिक स्थिति और आवश्यकताओं के आधार पर है।

मिथक 4 - किसी प्रॉपर्टी पर होम लोन लेना उस प्रॉपर्टी के मालिकाना हक की पुष्टि करता है

प्रॉपर्टी पर होम लोन लेना वास्तव में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे न केवल आपकी आर्थिक ज़रूरतें पूरी होती हैं, बल्कि यह भी प्रॉपर्टी के मालिकाना हक की पुष्टि करता है। यह माना जाता है कि होम लोन लेने वाले व्यक्ति को प्रॉपर्टी की पूरी सत्यता और मालिकाना हक की सुनिश्चितता करनी चाहिए।

होम लोन के बारे में यह एक प्रचलित मिथक है कि बैंक सम्पूर्ण प्रॉपर्टी के दस्तावेज़ और अन्य पहलुओं की सत्यता की जांच करता है, और इससे होम लोन लेने वाले की प्रॉपर्टी की मालिकाना हक की पुष्टि हो जाती है। यह एक झठ है।

वास्तव में, प्रॉपर्टी की टाइटल डीड और मालिकाना हक की सत्यता की पुष्टि करना खरीदने वाले की ज़िम्मेदारी होती है। बैंक तो सिर्फ होम लोन की स्वीकृति देता है, लेकिन इसमें प्रॉपर्टी के वास्तविक मालिकाना हक की पुष्टि नहीं करता। इसलिए, होम लोन लेते समय प्रॉपर्टी के मालिकाना हक की पुष्टि करने के लिए आपको विश्वसनीय स्रोतों से मदद लेनी चाहिए, ताकि आपकी संपत्ति पूरी तरह से सुरक्षित रहे।

मिथक 5 – होम लोन का प्रीपेमेंट करना एक अच्छी पॉलिसी है

होम लोन प्रीपेमेंट एक सामान्य धारणा है कि अगर बॉरोअर के पास अतिरिक्त धनराशि होती है, तो उसे अपने होम लोन का तुरंत प्रीपेमेंट कर देना चाहिए। हालांकि, क्या हर स्थिति में प्रीपेमेंट करना सबसे बेहतरीन विकल्प होता है, यह एक महत्वपूर्ण सवाल है।

प्रीपेमेंट को होम लोन लेने के पहले दिनों में करने का फ़ायदा होता है, जब ब्याज के भुगतान का भाग अधिक होता है। इससे ब्याज के भुगतान में कमी होती है और आपका लोन जल्दी चुकाया जा सकता है।

फिर भी, होम लोन के प्रीपेमेंट और ब्याज पर टैक्स लाभ भी प्राप्त हो सकता है, जिससे बॉरोअर अपने टैक्स खर्चों में कमी ला सकता है। इसके अलावा, होम लोन की इंटेरेस्ट रेट अक्सर अन्य लोन के इंटेरेस्ट रेट से कम होती हैं, इसलिए बॉरोअर इस अतिरिक्त धनराशि का उपयोग किसी अन्य सेक्टर में निवेश कर सकता है, जिससे उसे बेहतर लाभ मिल सकता है। इस प्रकार, हम एक आम धारणा का खंडन करते हुए यह कह सकते है कि प्रीपेमेंट हमेशा लाभकारी नहीं होता है, और इस पर आपको विचार करके ही कोई निर्णय लेना चाहिए।

संक्षेप में:

आखिरकार, होम लोन एक महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक वित्तीय निर्णय है, इसलिए इसके लिए उचित जांच-पड़ताल करना बेहद महत्वपूर्ण है। होम लोन की सभी शर्तों को समझने और सुनिश्चित करने के बाद ही इसे लेने का निर्णय लेना चाहिए। यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि आपका होम लोन प्रोसेस आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा और आपकी आर्थिक स्थिति को सुरक्षित बनाए रखेगा।

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