जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर! ये एक ऐसा कर है जो आपकी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ा है. चाहे आप बिजनेस कर रहे हों या छोटी-मोटी ख़रीदारी कर रहे हों, यह टैक्स हर जगह लागू होता है। यह वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एकल कर है। इसका मतलब है कि उपभोक्ता केवल आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाए गए कर का वहन करेगा।
जीएसटी देश के भीतर सभी भौगोलिक बाधाओं को दूर कर करों को एकीकृत करने का एक प्रयास है। आपको इसके अलग-अलग स्लैब के बारे में पता होना चाहिए कि किस चीज़ पर कितना टैक्स लग रहा है। सरकार सभी अप्रत्यक्ष करों को एक छतरी के नीचे लाने पर विचार कर रही है। आइए विस्तार से समझें कि यह कैसे काम करता है और जीएसटी के क्या परिणाम होंगे।
जीएसटी वर्तमान अप्रत्यक्ष संरचना को कैसे बदल देगा?
जीएसटी एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है जो भारत में 2017 में लागू की गई थी। यह प्रणाली एकल कर दर, एकल इनवॉइसिंग और एकल रिटर्न फाइलिंग के साथ एक व्यापक और सरल प्रणाली है। जीएसटी वर्तमान अप्रत्यक्ष संरचना को निम्नलिखित तरीकों से बदलने वाला है:
एकीकरण: जीएसटी में विभिन्न कर दरें हैं: 5%, 12%, 18%, 28%। यह वर्तमान अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की जटिल कर दरों के विपरीत है।
एकलइनवॉइसिंग: जीएसटी में एकल इनवॉइसिंग प्रणाली लागू है। यह एक विक्रेता द्वारा ख़रीदारों को जारी एक एकल दस्तावेज़ है जो सभी लागू करों का विवरण देता है। एकल इनवॉइसिंग वर्तमान प्रणाली की तुलना में व्यवसायों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाती है जिसमें प्रत्येक कर के लिए अलग-अलग इनवॉइस जारी किए जाते थे।
एकलरिटर्नफाइलिंग: जीएसटी में एकल रिटर्न फाइलिंग प्रणाली लागू है। यह एक करदाता द्वारा एकल दस्तावेज़ में सभी करों की जानकारी प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक है। एकल रिटर्न फाइलिंग वर्तमान प्रणाली की तुलना में करदाताओं के लिए प्रक्रिया को सरल बनाती है जिसमें प्रत्येक कर के लिए अलग-अलग रिटर्न फाइल किए जाते थे।
इनपरिवर्तनोंसेआपनिम्नलिखितलाभप्राप्तकरसकतेहैं:
व्यवसायोंकेलिएसरलता: जीएसटी व्यवसायों के लिए कर प्रणाली को सरल और सुव्यवस्थित कर देगा। इससे व्यवसायों को लागत कम करने, उत्पादकता बढ़ाने और कम्पटीशन में सुधार करने में मदद मिलेगी।
उपभोक्ताओंकेलिएपारदर्शिता: जीएसटी से उपभोक्ताओं के लिए कर प्रणाली अधिक पारदर्शी हो जाएगी। उपभोक्ताओं को यह जानने में आसानी होगी कि वे किस चीज़ पर कितना कर दे रहे हैं।
आर्थिकविकासकोबढ़ावा: जीएसटी से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे व्यवसायों के लिए निवेश और विस्तार में वृद्धि होगी, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी।
कुल मिलाकर, जीएसटी वर्तमान अप्रत्यक्ष संरचना को एक अधिक सरल, पारदर्शी और प्रभावी प्रणाली में बदल देगा। इससे व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए लाभ होंगे और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
जीएसटीकैसेकामकरेगा?
आइए देखते हैं जीएसटी कैसे काम करता है, इसे समझने के लिए, आप निम्नलिखित बातों को समझ सकते हैं:
सप्लाईचेन (आपूर्तिश्रृंखला):
हर एक व्यापारी एक दूसरे को माल या सेवाएं बेचता या ख़रीदता है, ये एक श्रृंखला की तरह चलती है। हर स्तर पर, व्यापारी इनपुट टैक्स के तौर पर जीएसटी चुकाता है, लेकिन जब वो फाइनल ग्राहक को बेचता है, तो आउटपुट टैक्स लेता है। महत्वपूर्ण बात ये है कि इनपुट टैक्स को आउटपुट टैक्स से घटाया जा सकता है, जिससे डबल टैक्सेशन नहीं होता।
चारप्रकारकेजीएसटी:
Ø CGST (केंद्रीयजीएसटी): केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है, इंटर-स्टेट सप्लाई पर लगता है।
Ø SGST (राज्यजीएसटी): राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है, इंट्रा-स्टेट सप्लाई पर लगता है।
Ø IGST (एकीकृतजीएसटी): अंतर-राज्य सप्लाई पर लगता है, जिसमें CGST और SGST दोनों शामिल होते हैं।
Ø UTGST (केंद्रशासितप्रदेशजीएसटी): केंद्र शासित प्रदेशों में SGST के बराबर लगता है।
रिटर्नफाइलिंगऔरटैक्सभुगतान:
हर रजिस्टर्ड व्यापारी को नियमित रूप से जीएसटी रिटर्न फाइल करना होता है, जिसमें बिक्री और ख़रीद का लेखा-जोखा होता है। इन रिटर्न के आधार पर, टैक्स देयता की गणना की जाती है और सरकार को भुगतान किया जाता है।
टैक्सक्रेडिटकालाभ:
जैसा कि पहले बताया गया है, इनपुट टैक्स को आउटपुट टैक्स से घटाया जा सकता है। इसे टैक्स क्रेडिट कहते हैं। इससे बिज़नेस को लागत कम करने और प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलती है।
उपभोक्ताओंपरप्रभाव:
जीएसटी से ज़्यादातर उत्पादों और सेवाओं पर लगने वाला टैक्स कम हुआ है। इससे महंगाई कम करने और उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ाने में मदद मिली है। साथ ही, उत्पादों पर लगने वाला जीएसटी रेट जानने से, उपभोक्ता बेहतर ख़रीदारी कर सकते हैं।
जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर! ये एक ऐसा कर है जो आपकी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ा है. चाहे आप बिजनेस कर रहे हों या छोटी-मोटी ख़रीदारी कर रहे हों, यह टैक्स हर जगह लागू होता है। यह वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एकल कर है। इसका मतलब है कि उपभोक्ता केवल आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाए गए कर का वहन करेगा।
जीएसटी देश के भीतर सभी भौगोलिक बाधाओं को दूर कर करों को एकीकृत करने का एक प्रयास है। आपको इसके अलग-अलग स्लैब के बारे में पता होना चाहिए कि किस चीज़ पर कितना टैक्स लग रहा है। सरकार सभी अप्रत्यक्ष करों को एक छतरी के नीचे लाने पर विचार कर रही है। आइए विस्तार से समझें कि यह कैसे काम करता है और जीएसटी के क्या परिणाम होंगे।
जीएसटी वर्तमान अप्रत्यक्ष संरचना को कैसे बदल देगा?
जीएसटी एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है जो भारत में 2017 में लागू की गई थी। यह प्रणाली एकल कर दर, एकल इनवॉइसिंग और एकल रिटर्न फाइलिंग के साथ एक व्यापक और सरल प्रणाली है। जीएसटी वर्तमान अप्रत्यक्ष संरचना को निम्नलिखित तरीकों से बदलने वाला है:
एकीकरण: जीएसटी में विभिन्न कर दरें हैं: 5%, 12%, 18%, 28%। यह वर्तमान अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की जटिल कर दरों के विपरीत है।
इन परिवर्तनों से आप निम्नलिखित लाभ प्राप्त कर सकते हैं:
कुल मिलाकर, जीएसटी वर्तमान अप्रत्यक्ष संरचना को एक अधिक सरल, पारदर्शी और प्रभावी प्रणाली में बदल देगा। इससे व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए लाभ होंगे और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
जीएसटी कैसे काम करेगा?
आइए देखते हैं जीएसटी कैसे काम करता है, इसे समझने के लिए, आप निम्नलिखित बातों को समझ सकते हैं:
हर एक व्यापारी एक दूसरे को माल या सेवाएं बेचता या ख़रीदता है, ये एक श्रृंखला की तरह चलती है। हर स्तर पर, व्यापारी इनपुट टैक्स के तौर पर जीएसटी चुकाता है, लेकिन जब वो फाइनल ग्राहक को बेचता है, तो आउटपुट टैक्स लेता है। महत्वपूर्ण बात ये है कि इनपुट टैक्स को आउटपुट टैक्स से घटाया जा सकता है, जिससे डबल टैक्सेशन नहीं होता।
Ø CGST (केंद्रीय जीएसटी): केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है, इंटर-स्टेट सप्लाई पर लगता है।
Ø SGST (राज्य जीएसटी): राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है, इंट्रा-स्टेट सप्लाई पर लगता है।
Ø IGST (एकीकृत जीएसटी): अंतर-राज्य सप्लाई पर लगता है, जिसमें CGST और SGST दोनों शामिल होते हैं।
Ø UTGST (केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी): केंद्र शासित प्रदेशों में SGST के बराबर लगता है।
हर रजिस्टर्ड व्यापारी को नियमित रूप से जीएसटी रिटर्न फाइल करना होता है, जिसमें बिक्री और ख़रीद का लेखा-जोखा होता है। इन रिटर्न के आधार पर, टैक्स देयता की गणना की जाती है और सरकार को भुगतान किया जाता है।
जैसा कि पहले बताया गया है, इनपुट टैक्स को आउटपुट टैक्स से घटाया जा सकता है। इसे टैक्स क्रेडिट कहते हैं। इससे बिज़नेस को लागत कम करने और प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलती है।
जीएसटी से ज़्यादातर उत्पादों और सेवाओं पर लगने वाला टैक्स कम हुआ है। इससे महंगाई कम करने और उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ाने में मदद मिली है। साथ ही, उत्पादों पर लगने वाला जीएसटी रेट जानने से, उपभोक्ता बेहतर ख़रीदारी कर सकते हैं।
OK